कभी मारुति का राज था, अब बड़े टायर की चलती है
दो दशक पहले मारुति 800 देश की कार होती थी। मध्यम वर्गीय परिवारों में यह कार लेने का क्रेज था। प्यार से लोग इसे मरूती बोलते थे। कम पेट्रोल, जीरो मेंटीनेंस और हर जगह सर्विस की सहूलियत देने वाली इस कार से लोगों ने समंदर, पहाड़, जंगल घूम डाले। फिर अन्य कंपनियों ने देश में कारोबार शुरू किया तो मारुति पीछे छूटती चली गई। अब लोग छोटी कारों के बजाय यूटिलिटी वैहिकल्स को प्राथमिकता देने लगे हैं। इसका कारण यह है कि इन गाड़ियों के टायर बड़े होते हैं जो अधिक ग्राउंड क्लियरेंस के कारण फिसलन भरे बर्फीले रास्तों पर भी गाड़ी की पकड़ बनाए रखते हैं। इसके अलावा, इन कारों से लंबी दूरी की ड्राइविंग आराम से की जा सकती है। इनके मुकाबले, एसयूवी महंगी पड़ती हैं। इसके अलावा, इन दिनों नई कंपनियों और नये मॉडल्स के आ जाने से भी ग्राहकों का रुझान इन गाड़ियों की ओर ज्यादा रहा है। इसी से अंदाजा लगाइए कि जहां 2002 में यूटिलिटी वैहिकल्स के 11 मॉडल देश में मौजूद थे, वहीं 2020 में इन गाड़ियों के मॉडल बढ़ कर 68 हो गए।
रेटिंग एजेंसी - क्रिसिल की एक रिपोर्ट बताती है कि चालू वित्त वर्ष के पहले नौ महीनों में भारत की सवारी गाड़ियों में यूटिलिटी वैहिकल्स की हिस्सेदारी 48 प्रतिशत हो गई है, जो दो दशक पहले 15 प्रतिशत थी। यह दूसरी बात है कि उन दिनों न तो ज्यादा विकल्प होते थे और न ही लोगों को इस तरह की गाड़ियों की खास जरूरत नजर आती थी। पिछले 20 वर्षों में यूटिलिटी वैहिकल्स का मार्केट शेयर 33 प्रतिशत बढ़ा है। साल 2026 तक यूटिलिटी वैहिकल्स का ग्राफ बढ़ते जाने की संभावना है। इस सेगमेंट में हर साल 18 प्रतिशत तक वृद्धि होगी। भारत की लोकप्रिय यूटिलिटी वैहिकल्स में प्रमुख हैं – क्रेटा, नेक्सॉन, एक्सयूवी300, सेल्टॉस, ब्रेजा, सोनेट, मैग्नाइट, काइगर आदि। क्रिसिल के अनुसार, साल 2009 से 2019 के बीच छोटी कारों के सेगमेंट में सात प्रतिशत वृद्धि दर्ज हुई, जबकि इसी अवधि में यूटिलिटी वैहिकल्स की वृद्धि सालाना 16 प्रतिशत रही।
फरवरी में सालाना आधार पर कारों की बिक्री मे 7 प्रतिशत और दोपहिया वाहनों की बिक्री में 27 प्रतिशत की कमी दर्ज हुई। पिछले साल फरवरी में जहां 2,81,380 कारों की बिक्री हुई थी, वहीं इस बार फरवरी में 2,62,984 कारें ही बिक पाईं। इसी तरह, दोपहिया वाहनों की बिक्री फरवरी 2021 में जहां 14,26,865 पर थी, वहीं इस साल फरवरी में इससे काफी कम यानी 10,37,994 ही वाहन बिक पाए। इसके विपरीत, एसयूवी और एमयूवी श्रेणी के वाहनों की बिक्री निरंतर बढ़ती रही है। पिछले साल फरवरी में यदि 1,14,350 यूटिलिटी वाहन बिके थे, तो इस साल फरवरी में इनकी बिक्री बढ़कर 1,20,122 पर जा पहुंची। यूक्रेन युद्ध के चलते ऑटो इंडस्ट्री के हाथ पांव फूले हुए हैं। पिछले कुछ माह इस इंडस्ट्री ने सेमीकंडकटर चिप की कमी के साथ बिताए, जिससे प्रोडक्शन और सप्लाई पर बुरा असर पड़ा। फिर रूस का हमला हो गया जिससे कच्चा माल खास कर वाहन निर्माण में इस्तेमाल होने वाली कई धातुओं की आपूर्ति प्रभावित होने लगी। धातुओं की आपूर्ति मुख्य रूप से रूस और पूर्वी यूरोपीय देशों से होती थी, जिसमें अब बाधा आ रही है। कच्चा माल 25 प्रतिशत तक महंगा हो जाने से गाड़ियों की कीमत भी बढ़ानी पड़ रही है।
(वरिष्ठ पत्रकार व कॉलमिस्ट हैं)