समाचार विश्लेषण/कौन करेगा कांग्रेस की सर्जरी?
-कमलेश भारतीय
कांग्रेस लगातार चुनाव हार रही है । चुनाव ही नहीं हार रही बल्कि अपने नेता भी खो रही है । हर बार के बाद इसके नेता अपने राजनैतिक भविष्य को लेकर सोच में पड़ जाते हैं और साथ छोड़ने का विकल्प ही सामने आता है । पहले ज्योतारादित्य सिंधिया गये थे और अभी जितिन प्रसाद । हालांकि ज्योतारादित्य को जो राज्यसभा सदस्यता कांग्रेस से मिलनी थी , वही भाजपा से मिली और केंद्रीय मंत्रिमंडल में अभी तक कोई कुर्सी नहीं मिली । अब जितिन प्रसाद किस सोच में और क्या पाने गये, वे ही जानें लेकिन कांग्रेस के लिए घाटा तो है ही । चाहे कुछ भी कहो । बेशक यूपी में भाजपा को भी जितिन से कोई ज्यादा उम्मीद नहीं लेकिन कांग्रेस का मनोबल गिराने के लिए यह दांव बेकार नहीं जायेगा ।
राजस्थान में सचिन पायलट अचानक से सक्रिय हो उठे और उप-मुख्यमंत्री पद वापस देने की मांग इनके समर्थक उठाने लगे । इसी प्रकार पंजाब में भी यह आग पहुंच गयी । यहां पहले से ही नवजोत सिद्धू कैप्टन अमरेंद्र सिंह के खिलाफ सक्रिय हैं और हाॅकी खिलाड़ी रहे विधायक परगट सिंह भी पूरा साथ दे रहे हैं । यहां भी कमेटी रिपोर्ट दे रही है कि नवजोत सिद्धू को उचित स्थान और सम्मान दिया जाना चाहिए । दो प्रदेशों में जितिन प्रसाद के दलबदल ने रंग दिखाना शुरू कर दिया है । राजस्थान और पंजाब की जीत से ही राहुल गांधी और किसान की बात खूब चली थी ।वैसे सरकार मध्य प्रदेश में भी बना ली थी लेकिन सभी जगह युवा नेताओं को रिजर्व में डाल दिये जाने से कांग्रेस में विद्रोह दिखने लगा । मध्य प्रदेश में तो सरकार ही गंवा ली युवा नेता की उपेक्षा करने के चलते । पंजाब में चुनाव आने वाले हैं । भाजपा तैयारी में तो कांग्रेस गुटबाजी में फंसी हुई है । अपनी अपनी तैयारी है । राजस्थान में पिछले वर्ष बड़ी मुश्किल से अशोक गहलोत सरकार बचा पाये लेकिन फिर भी सचिन पायलट से प्रेम भरा व्यवहार नहीं किया । उपेक्षा ही रखी । इस तरह दूसरी बार विद्रोह के सुर सुनने को मिल रहे हैं ।
अब वीरप्पा मोइली कह रहे हैं कि कांग्रेस को बहुत बड़ी सर्जरी की जरूरत है । कपिल सिब्बल भी इसी ओर इशारा कर रहे हैं और जितिन के कदम को गलत ठहराते हैं । वे कह रहे हैं कि हो सकता है मैं हाई कमान से नाराज हो जाऊं पर कांग्रेस नहीं छोडूंगा । हां , मर जाऊंगा भाजपा में कभी नहीं जाऊंगा । यह एक अच्छी सोच है । जिस पार्टी ने आपको मान/सम्मान, पद/प्रतिष्ठा दी , उसे मुसीबत में छोड़कर जाना क्या धोखा नहीं? मुसीबत में ही तो पहचान होती है अपने पराये की । यानी आप पद से जुड़े थे । अगर राहुल गांधी संसद में आंख भी मारते थे तो ज्योतारादित्य सिंधिया को देख कर और वही सिंधिया आंख बदल गये राहुल गांधी से? जितिन भी इनकी ड्रीम टीम के सदस्य थे । सचिन पायलट भी । अब देने को कुछ नहीं राहुल के पास तो आंख दिखाने लगे ? क्या राहुल को पहचान नहीं आई चयन में कि कौन संकट में साथ देने वाला है और कौन सिर्फ पद के लिए गले लग रहा है या गले पड़ रहा है ? इन सबसे अच्छे तो दीपेंद्र हुड्डा हैं जो हर जगह मोटरसाइकिल लेकर राहुल के संघर्ष में पहुंच जाते हैं । वे भी तो ड्रीम टीम के सदस्य हैं। पर बिना किसी लोभ के । हरियाणा के कुलदीप बिश्नोई भी पर तोलने लगे हैं । ये भी कब कहां चले जायेंगे कोई कह नहीं सकता ।
अब सवाल यह कि कांग्रेस की सर्जरी कौन करेगा ? जी 23 समूह? जिसने जम्मू में लाल पगड़ियां पहन कर विद्रोह के संकेत दे दिये थे ? फिर भी कांग्रेस हाईकमान चेती नहीं । बहुत जरूरी है चेत जाना नहीं तो बहुत देर हो चुकी होगी ।
देर न हो जाये
कहीं देर न हो जाये ...