नफरत की दुनिया छोड़ प्यार की दुनिया कौन बनायेगा?
बहुत खूब राहुल गांधी और गौरव भाटिया । राहुल गांधी हैं देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष तो गौरव भाटिया हैं भाजपा के प्रवक्ता । राहुल गांधी लंदन में छात्रों के बीच व्याख्यान देते कहते हें कि भाजपा देश भर में केरोसिन छिड़के हुए हैं यानी कभी भी कहीं भी साम्प्रदायिक आग भड़क सकती है । हालात खराब होते जा रहे हैं ।
-*कमलेश भारतीय
बहुत खूब राहुल गांधी और गौरव भाटिया । राहुल गांधी हैं देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष तो गौरव भाटिया हैं भाजपा के प्रवक्ता । राहुल गांधी लंदन में छात्रों के बीच व्याख्यान देते कहते हें कि भाजपा देश भर में केरोसिन छिड़के हुए हैं यानी कभी भी कहीं भी साम्प्रदायिक आग भड़क सकती है । हालात खराब होते जा रहे हैं । जवाब में भाजपा के प्रवक्ता गौरव भाटिया टीवी पर बोलते हैं कि कांग्रेस तो सन् 1984 से ही केरोसिन लेकर आ गयी थी और इनका एजेंडा ही नफरत फैलाना है । सन् 84 को जितना कैश किया जा सकता है , किया जा रहा है । इसी के चलते जगदीश टाइटलर और सज्जन कुमार की कांग्रेस से छुट्टी जैसी हो गयी । दिल्ली की राजनीति से ये बाहर हो गये । वैसे गोधरा कांड भी चर्चित रहा था ।
याद आ रहा है हाथी मेरे साथी का बहुत ही प्यारा गाना :
नफरत की दुनिया को छोड़ के
प्यार की दुनिया में
खुश रहना मेरे यार ...
यह फिल्म जीवों के प्रेम भाव को बखूबी प्रदर्शित कर पाई । और इतनी फिल्में बनती हैं जो मनुष्य के प्रति प्रेम व सद्भाव का संदेश देती हैं लेकिन ये फिल्में मात्र फिल्में ही रह जाती हैं । इनके संदेश ग्रहण नहीं किये जा रहे ।
धर्म निरपेक्ष देश होने के बावजूद यहां कभी मंदिर तो कभी मस्जिद तो कभी किसी धर्म के नाम पर दंगे और विवाद होते रहते हैं । बरसों बरसों तक बावरी मस्जिद का मुद्दा चलता रहा और अब औवेसी कह रहे हैं कि हम बावरी मस्जिद के बाद कोई और मस्जिद खोने को तैयार नहीं हैं । इस तरह हर तरफ चिंगारी छोड़ी जाती है । अभी ताजमहल की बात उठी है और ज्ञानवापी की भी ।
विकास की बात करते और विकास का नारा देते देते यह किस तरफ चल पड़े हम ? विकास के लिए अस्पताल , स्कूलों और शिक्षा संस्थानों के साथ साथ बिजली संकट दूर करने के लिए नये प्रोजेक्ट लगाने की जरूरत है । कोरोना ने हमारे स्वास्थ्य प्रबंधों की पोल बुरी तरह खोल कर रख दी और हम अभी भी चेते नहीं हैं । हमारा ध्यान स्कूली शिक्षा की ओर नहीं है । कल कारखानों की तरफ नहीं है । हम भव्य मूर्तियों के निर्माण में लगे हैं । कभी मायावती ने उत्तर प्रदेश के हर पार्क में हाथी ही हाथी खड़े करवा दिये थे । अब जनता ने हाथी तो रख लिये लेकिन मायावती को राजनीति से बाहर का रास्ता दिखा दिया । अरविंद केजरीवाल बार बार स्मार्ट स्कूलों और मोहल्ला क्लीनिकों की चर्चा कर रहे हैं । देखने का मौका तो नहीं मिला पर इतना जरूर है कि आम जनता की जरूरतों को ध्यान में रख रहे हैं । सिर्फ सस्ते या मुफ्त अनाज न बांटिये बल्कि लोगों को इतना ऊपर उठाइए कि वे खुद खरीदने लायक हो सकें । फिर चाहे कोई भी राजनेता हो , मुफ्तखोरों की जमात न बनाइए । संघर्षशील नागरिक बनाइए । तो फिर यह केरोसिन केरोसिन क्या लगा रखी है भाई ?
नफरत की दुनिया छोड़ के
प्यार की दुनिया
और मेहनतकशों की
दुनिया बनाने में लग जाइए...
-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।