समाचार विश्लेषण/किसका कंधा , किसकी बन्दूक और कहां निशाना ?

समाचार विश्लेषण/किसका कंधा , किसकी बन्दूक और कहां निशाना ?
कमलेश भारतीय।

-कमलेश भारतीय 
किसान आंदोलन का आज सबसे महत्त्वपूर्ण दिन । यानी भारत बंद । देश बंद करने की नौबत क्यों आई ? वही पुरानी परंपरा जब तक पूरी तरह नाक में दम न आ जाये तब तक सरकार के कान पर जूं क्यों नहीं रेंगती ? शायद हर सरकार कुंभकर्ण को आदर्श मान कर चलती है । दूसरा अंग्रेजों के समय से मांगों को अनसुना करने और लटकाने की घुट्टी जो मिली है हर सरकार को । यह अपनी और अपने लोगों की सरकारें भी बदल नहीं पाईं । नहीं तो इतने दिन और इतनी बैठकों के बाद कोई नतीजा क्यों नहीं ? क्या हठधर्मिता या दूसरों के कंधों पर है निशाना किसानों का ? सरकार हठधर्मी तो किसान दूसरों की बंदूक उठाये हुए ? यदि हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की बात मानें तो ,, पर यह सच नहीं । बिल्कुल निराधार । बयान के लिए बयान । यह दुर्भाग्यपूर्ण बयान । किसान इतने भोले नहीं रह गये । पढ़े लिखे हैं और आधुनिक खेती करते हैं । फिर वे किसी को क्यों सुनेंगे या अपने कंधे देंगे इस्तेमाल के लिए ? मनोहर लाल जी कुछ सोचिए । कभी कहते हैं भाजपा नेता कि कांग्रेस ने किसानों के कंधे पर यह निशाना लगाया है और जवाब भी यह कि यदि कांग्रेस में इतना दम होता तो क्या विपक्ष में ही बैठती? दम है बात में । 
 वैसे जब बाबा रामदेव या अन्ना हजारे दिल्ली में आंदोलन चलाते थे तब किसका कंधा और किसकी बंदूक होती थी ? किस पर निशाना साधा जाता था ? हर जेनुइन आंदोलन को राजनीति से न तोलिए । किसान अपने दर्द से बैठे हैं सर्दी मे सड़कों पर । यह भी कितना दुखद कि देश थमता जा रहा है । काम धंधे मुश्किल से पटरी पर आने लगे थे कोरोना के चलते , फिर से चौपट होने लगे इस आंदोलन के चलते । आर्थिक व्यवस्था पर असर होने लगा है । अनाज मंडियों की रौनक खत्म होने लगी है । आज भारत बंद पर तो सड़कें भी खाली रहेंगीं और शायद कार्यालय भी ।
कितने लोग अपने पुरस्कार /सम्मान लौटा रहे हैं । चाहे प्रसिद्ध कवि  सुरजीत पातर हों या हरियाणा का मुक्केबाज विजेंदर । ओलम्पियन हों या साहित्यकार सभी किसान के लिए उद्वेलित हैं । इन्हे राष्ट्र पति से मिलने पर क्यों रोका गया? फिर सरकार यह मान कर क्यों चल रही है कि इनके पीछे कांग्रेस का हाथ है या इनके कंधों पर कांग्रेस की बंदूक है ? नहीं । यह भ्रम है और किसानों की समस्याओं को जितनी जल्दी समझने की कोशिश करे सरकार तभी बंदूक और निशाना हट जायेगा ।