समाचार विश्लेषण/ऑफर क्यों नहीं स्वीकार किया सिसोदिया जी ?
-*कमलेश भारतीय
इतना अच्छा ऑफर और वह भी दीवाली से पहले ,,,फिर क्यों न स्वीकार किया सिसोदिया जी ? अब देखिए महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे ने ऑफर स्वीकार किया और बन गये न मुख्यमंत्री और एक आप न पार्टी तोड़ी और, न बने मुख्यमंत्री । अब तक तो यह सब हो गया होता लेकिन आप कह रहे हो कि मैं तो महाराणा प्रताप का वंशज हूं । मैं अपने गुरु अरविंद केजरीवाल को नहीं छोड़कर आ सकता । यह सच्चाई तो सब जानते हैं कि जब अरविंद केजरीवाल ने इंडिया अगेंस्ट करप्शन अभियान शुरू किया था तो सबसे पहले आप ही साथ देने आए थे । हालांकि तब पत्रकार थे । फिर भी अरविंद केजरीवाल का साथ आज तक दे रहे हो । हालांकि भाजपा की ओर से कहा गया कि महाराण् प्रताप के वंशज शराब नहीं बेचते । भाई , जब विभाग मिल जायेगा तो शराब भी बेचनी पड़ेगी । क्या भाजपा सरकारें शराब नहीं बेचतीं ? क्या भाजपा शासित राजायों मे शराबबंदी है ?
लगता है अब सरकारें तोड़ने का काम विधायकों का कम और ईडी व सीबीआई का ज्यादा हो गया है । इसीलिए हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इन एजंसियों के दुरूपयोग का खुलेआम आरोप लगा रहे हैं । इतना खुल्लमखुल्ला तो ऋषि कपूर ने अपनी आत्मकथा खुल्लमखुल्ला में भी न लिखा था जितना खुल्लमखुल्ला खेल यह ईडी और सीबीआई के सहारे खेला जा रहा है । आखिर अमृत महोत्सव और तिरंगा अभियान की कुछ तो लिहाज करो साहब । कुछ दिन तो परहेज करते । सरकारें तोड़ने से लोकतंत्र की नींव क्यों हिला रहे हो ? पिछली बार भी तो कोई कमी नहीं छोड़ी थी आप सरकार को खत्म करने की लेकिन सफलता नहीं मिली थी । हर विरोधी सरकार आपकी आंख में खटकती क्यों है साहब ? विरोध की आवाज को दबाते चले जाने से क्या विरोधी दल खत्म हो जायेंगे ? अभी तक तो आप कांग्रेस मुक्त भारत बनाने का सपना देख रहे थे । अब क्या विरोधी दल मुक्त भारत बनाने की ओर कदम उठा दिया ? लोकतंत्र में विरोध की आवाज को अनसुनी नहीं कर सकते । यही तो नितिन गडकरी ने कहा था कि काग्रेस को मजबूत होना चाहिए और आपने उन्हे भी कमेटी से बाहर का रास्ता दिखा दिया यानी न पार्टी के भीतर और न बाहर आप विरोध की आवाज सुनने को तैयार नहीं ? सहनशीलता खत्म हो गयी ? कितनी सरकारें तोड़कर अपनी बनवा चुके और फिर भी मन को खुशी नहीं मिली । कुछ तो परदा भी रहने दीजिए साहब कि सब खुल्लमखुल्ला करोगे अब ? परदे के पीछे रहिए ।
संविधान , लोकतंत्र और विचारधारा से ही सरकार चलाने में विश्वास कीजिए । भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र देश है । इसे ऐसा ही बनाये रखिए साहब । यह राज तो आनी जानी चीज है , राजनाथ सिंह भी कह रहे है । सदा नहीं रहेगा । लेकिन सदा रहेंगे आपके अच्छे कर्म और अच्छी नीतियां । अच्छे दिन दो या न दो लेकिन गुड गवर्नेंस का वादा जरूर पूरा कीजिए साहब ।
-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।