समाचार विश्लेषण/आखिर विरोधियों को जाने क्यों नहीं देते?
-*कमलेश भारतीय
यह सवाल मेरा नहीं । सुप्रीम कोर्ट का है उत्तर प्रदेश की सरकार से और मामला है पूर्व मंत्री और सांसद आजम खां को लेकर । रोचक बात यह है कि एक मामले में आजम खां को जमानत मिलती है तो दूसरे मामले में वे अंदर कर दिये जाते हैं । इसी बात को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि आखिर आप उन्हें जाने क्यों नहीं देते ? इस पर जवाब आया कि ये सच्चे मामले हैं तो सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एक दो मामले हो सकते हैं , क्या 89 मामले सच्चे कैसे हो सकते हैं ? योगी सरकार ने अपना बुलडोजर आजम खां के होटलों व भवनों पर खूब चलाया और ठान ही लिया कि आजम खां का कुछ नहीं बचेगा ।
मैं आजम खां के प्रति कोई हमदर्दी नहीं रखता लेकिन कोर्ट की इज्जत करता हूं । आजम की जुबान कैंची की तरह दूसरों के दिल को बुरी तरह काट जाती थी । इसकी शिकार अभिनेत्री जयाप्रदा भी हुईं और पहले राखी बंध भाई बने और बाद में खूब जली कटी और खरी खोटी बातें सुनाईं । जहां तक कि भरी जनसभा में जयाप्रदा के आंसू निकल आये । फिर भी क्या सचमुच 89 मामले सच्चे हैं और इन्हें जेल से जाने क्यों नहीं देते ?
जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती व फारूक अब्दुल्ला भी मुश्किल से जेल से बाहर आ पाये । वही महबूबा मुफ्ती जिसके साथ सारे नियम , सारी विचारधारा एक तरफ यानी ताक पर रख कर भाजपा ने सरकार बनाई थी । बाद में यह रिश्ता टूट गया और फिर जैसे मी मौका लगा महबूबा जेल के अंदर ।
महबूबा को छोड़िए न । कांग्रेस के चिदम्बरम को कितनी देर तक जेल की हवा खिलाई गयी ? क्यों ? जेल मे कोई सुविधा मांगी , वह भी देने से इंकार किया जाता रहा । अब बताइए कि जाने क्यों नहीं दे रहे थे ?
सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी के सुरक्षा दस्तों में कमी करते गये और कुमार विश्वास को एक बयान के आधार पर सुरक्षा दे दी गयी ? क्यों ? क्या गांधी परिवार पर कोई खतरा नहीं रहा ? इतनी चाक चौबंद है आपकी पुलिस ? कितने उदाहरण हैं और दिये जा सकते हैं । अभी जरा एक बग्गा पर केस बन गया तो फिर कितनी हाय दुहाई क्यों ? जैसा बोओगे , वैसा ही तो काटोगे कि नहीं ?
कोई उत्तर प्रदेश में किसी घटना का विरोध करने जाये तो रास्ते में पुलिस रोक लेती है । प्रियंका व राहुल को लखीमपुर खीरी जाते रोका गया रहिए और गोरखपुर गैस कांड पर जाने पर कहा गया कि अस्पताल को पिकनिक स्पाॅट मत बनाइए । है न कमाल ? आप विरोध सह ही नहीं सकते । क्यों ? यह लोकतंत्र है और इसमें विरोध और विरोधियों को आपको सहना होगा और सहना पड़ेगा। आजम खां हों , फारूक अब्दुल्ला हो या फिर चिदम्बरम सबको कानून के घेरे में ही आप रोक सकते हो । अपनी मनमर्जी से नहीं और सबके राज आते हैं और जाते हैं । इसलिए कानून ही सर्वोपरि है ।
-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।