समाचार विश्लेषण/मंत्री से ओलंपिक एसोसिएशन के अध्यक्ष तक क्यों?
-*कमलेश भारतीय
हाॅकी के चमकते सितारे रहे संदीप सिंह पहले भाजपा के प्यारे बने और पिहोवा से टिकट मिली । धुरंधर राजनीति वालों को हरा कर विधानसभा पहुंचे और फिर मंत्रिमंडल में भी जगह मिली । खिलाड़ी का सम्मान हुआ और उम्मीद जगी कि एक खिलाड़ी मंत्री प्रदेश के खिलाड़ियों के लिए बढ़िया योजनाएं लायेगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ । एक साधारण और अनाड़ी मंत्री ही साबित हुए संदीप सिंह । चाहते तो इस अवसर को भुना सकते थे और आगे बढ़ सकते थे राजनीति में लेकिन ड्रिवल न कर पाये । वैसे तो डाॅ हर्षवर्धन दिल्ली के भाजपा सांसद भी स्वास्थ्य मंत्री बनाये गये थे लेकिन कोरोना के संकट में सही कदम न उठा पाये व योजनाएं न बना पाये और मंत्रिमंडल से बाहर कर दिये गये । यह जरूरी नहीं कि यदि आप किसी वकील को कानून मंत्री बनाते हैं तो वे वकील की भूमिका भी अच्छी निभा सकेंगे ।
अब मज़े की बात है कि संदीप सिंह को हरियाणा ओलंपिक एसोसिएशन का अध्यक्ष पद दिया गया है । इसे आप डिमोशन तो नहीं कह सकते ? रोहतक के पूर्व विधायक मनीष ग्रोवर को सरकार ने ध्यान में रखते हुए एसोसिएशन का कोषाध्यक्ष पद सौंपा है । क्या संदीप सिंह ओलंपिक एसोसिएशन से न्याय कर पायेंगे ? यदि उन्होंने अपने मंत्री काल में खिलाड़ियों के लिए नयी नयी योजनाएं या कार्यक्रम बनाये होते तो वे लोकप्रिय होते और डिमोशन की नौबत भी न आती । संदीप सिंह की तरह भाजपा ने भिवानी की पहलवान बबिता फौगाट को भी चरखी दादरी से प्रत्याशी बनाया था और वह अपनी लगी लगाई जाॅब छोड़ कर राजनीति में आई थी लेकिन चरखी दादरी में सतपाल सांगवान जैसे पुराने राजनेता से हार गयी और फिर वही जाॅब भी ले ली थी लेकिन अब भाजपा ने बबिता को भी नयी जिम्मेवारी सौंपी है जिसमें उसे खरा उतरना होगा ।
ऐसे ही इन दिनों 'महाभारत फेम' युधिष्ठिर के रोल वाले गजेंद्र चौहान चर्चित हो रहे हैं जिन्हें भाजपा जजपा सरकार ने रोहतक की सुपवा यानी फिल्म यूनिवर्सिटी का कुलपति नियुक्त किया है और गजेंद्र का कहना है कि वे पहले एक एक्टर हैं और कोशिश करेंगे कि इस यूनिवर्सिटी को ऊपर उठाने की योजनाएं बनायें । वैसे गजेंद्र चौहान को यह पद दिये जाने को आलोचना भी शुरू हो गयी है कि क्या हरियाणा में कोई ऐसा कलाकार नहीं था जिसे कुलपति पद के योग्य समझा जाता ? गजेंद्र से पहले अनुपम खेर को पुणे के फिल्म संस्थान का कार्यभार सौंपा गया था लेकिन ज्यादा सफल न हो पाये । वही बात कि यह जरूरी नहीं कि कोई फिल्म अभिनेता पुणे संस्थान को चलाये या सुपवा में सफल रहे । लगभग दो साल पहले मैंने सुपवा को सपरिवार देखा था । काफी संभावनाएं होने के बावजूद काफी कुछ करना बाकी है और अभी तक तो एमडीयू के कुलपति राजवीर सिंह इसका अतिरिक्त कार्यभार संभाल रहे थे , अब पूर्णकालिक गजेंद्र चौहान कुलपति बन कर आ गये हैं सरकार का इस यूनिवर्सिटी पर किया गया खर्च युवा प्रतिभाओं के भविष्य को संवारने के काम आना चाहिए । यहां गतिविधियां बढ़नी चाहिएं । हरियाणवी फ़िल्मों को प्रोत्साहन मिलना चाहिए । बहुत उम्मीदें हैं ।
-*पूर्व उपाध्यक्ष हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।