अडानी पर चर्चा पर संकोच क्यों ?
-*कमलेश भारतीय
संसद सत्र शुरू हुआ और जैसी कि चर्चा थी कि विपक्ष अडानी के रिशवत कांड का मुद्दा उठायेगा, वैसा ही हुआ । इसके बावजूद अध्यक्ष जगदीप धनखड़ ने इस पर चर्चा करवाने से साफ इंकार कर दिया तो राज्यसभा में नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण करार देते कहा कि फिर विपक्ष कौन से मुद्दे उठाये ? अडानी का मुद्दा महत्त्वपूर्ण मुद्दा है, इस पर चर्चा करवाई जानी चाहिए थी । अडानी के रिश्वत कांड से विश्व में भारत की छवि धूमिल हुई है । फिर भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अडानी का समर्थन कर रहे हैं, यह बहुत दुखद है। प्रधानमंत्री मोदी ने तो विपक्ष पर प्रहार करते कहा कि जिन्हें जनता ने 80-90 बार नकार दिया है, वे अपने राजनीतिक लाभ के लिए गुंडागर्दी का सहारा लेकर संसद पर कब्ज़ा करने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन ऐसे मुट्ठी भर लोग अपने मंसूबों में सफल नही होंगे । इंतहा तो तब हुई जब फ्रांसीसी कंपनी टोटल एनर्जीज ने भी अडानी ग्रुप से तब तक संबंध तोड़ने का ऐलान कर दिया जब तक अमेरिका का रिश्वत कांड क्लियर नहीं हो जाता । इस पर प्रधानमंत्री मोदी क्या कहना पसंद करेंगे ? क्या फ्रांसीसी कम्पनी भी विपक्ष की गुंडागर्दी में शामिल हो गयी है या उनके ज़ाल में फंस गयी है ? फ्रांसीसी कम्पनी के हाथ खींच लेने से अडानी ग्रुप के शेयर 8.05 प्रतिशत की गिरावट पर बंद हुए । पता नहीं फिर इस पर चर्चा करने वालों की गुंडागर्दी क्यों कही जा रही है ?
आज संविधान दिवस भी है और संविधान ने विपक्ष को अधिकार दे रखा है जनता के मुद्दे उठाने का, फिर संविधान दिवस मनाते हो, मानते क्यों नहीं ? अडानी की जगह कोई और होता तो अब तक ईडी लपेटे में ले चुकी होती लेकिन अडानी के घर जाने पर तो ईडी को बहुत शर्म आ रही है, भाई, ऐसे घरों में कैसे जाये ? सारी संस्थायें अडानी की ओर मुंह फेर कर बैठी हैं । विपक्ष करे तो क्या करे और जाये तो कहां जायें? दुष्यंत कुमार कह गये हैं :
कहां तो तय था चिरागां हरेक घर के लिए
कहां चिराग मयस्सर नहीं शहर के लिए!!
-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी।