समाचार विश्लेषण/क्या चिंतन शिविर के बाद बदलेगी कांग्रेस?
-*कमलेश भारतीय
तीन दिवसीय चिंतन शिविर उदयपुर राजस्थान में संपन्न । क्या इस तीन दिवसीय चिंतन या नव संकल्प शिविर से कांग्रेस में , इसकी कार्यशैली में कोई बदलाव आयेगा ? क्या कोई नयी उम्मीद की किरण फूटेगी ? क्या कुछ नया होने जा रहा है ?
बहुत से सवाल हैं इस शिविर को लेकर । चर्चा है कि एक परिवार , एक टिकट दिया जायेगा और यह भी चर्चा है कि पचास वर्ष तक ही चुनाव लड़ने की आयुसीमा कर दी जाये । यह भी चर्चा है कि महिलाओं को एक तिहाई टिकट और भागीदारी मिल सकती है । सोशल मीडिया आदि छह सूत्रीय कार्यक्रम बनाया गया है । इस तरह यह शिविर संपन्न हो गया । अध्यक्ष के बदलाव की कोई बात नहीं हुई । सिर्फ चर्चा भर रही । कोई ठोस बात नहीं हुई । फिर बदलाव कैसे होगा और कौन करेगा ? जी 23 समूह की मांग पर कोई चर्चा नहीं । नये नेताओं को कैसे सार्थक पहल पर लायेंगे ? क्या जिम्मेदारी देंगे युवाओं को ? नये को जिम्मेदारी नहीं और पुराने से जवाबदेही नहीं । कैसे चलेगा ? महिलाओं को नेतृत्व में कितना सम्मान मिलेगा ? जनांदोलन की बात उठी । जनांदोलन के लिए कौन आगे आयेगा ? जनांदोलन तो विरोध की राजनीति के लिए बहुत जरूरी हैं । फिर जो गुटबाजी ने हालत पतली कर रखी है , उस पर कौन अंकुश लगायेगा ? सुनील जाखड़ ने शिविर के उद्घाटन के दिन को ही चुना हाथ को झटकने के लिए । धर्मनिरपेक्ष चेहरे को हम कुछ दिनों में हिन्दूवादी चेहरे में बदलते देखेंगे । यह त्रासदी है कांग्रेस की । अपने पुराने नेताओं को भी मना नहीं सकती । पुराने परिवारों में भी इसकी कोई जरूरत नहीं रह गयी । अपनी कार्यशैली को बदलिये और सर्वहितकारी योजनायें बनाइए । हरीश रावत तो पंजाब का पूरा ही सवा सत्यानाश करके चलते बने । बाद में उत्तराखंड में वही हालात सामने आये और न कांग्रेस को जिता सके और न ही खुद जीत सके ।
दिल्ली एक बार हाथ से निकली फिर वापस न मिली । बहुत कुछ सोचने योग्य है । विचार करने योग्य है । मंथन करने योग्य है । पश्चिमी बंगाल में वापसी नहीं हुई । गुजरात में हार्दिक पटेल को कोई उम्मीद नहीं रही । किसी दिन पार्टी छोड़ने की घोषणा आ जायेगी । बहुत कुछ विचार करने के दिन हैं ।
बहुत कठिन दिन हैं कांग्रेस के ।
-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।