समाचार विश्लेषण/किसान आंदोलन का केंद्र बनेगा हिसार?
-कमलेश भारतीय
क्या हिसार किसान आंदोलन का केंद्र बनने जा रहा है ? यदि कल के प्रदर्शन को देखें तो ऐसा ही लगता है । इसका आधार है सोलह मई को हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर द्वारा चौ देलीवाल संजीवनी अस्पताल का उद्घाटन और किसानों द्वारा उनका विरोध । पुलिस कार्यवाही जिसमें न केवल किसान घायल हुए बल्कि पुलिस वाले भी । इसके बावजूद शाम तक सभी किसान छोड़ दिये गये लेकिन उन पर दर्ज किये केस रद्द नहीं किये गये । बस । यहीं हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर किसान आंदोलन को संजीवनी दे गये और इसका केंद्र हिसार बनाने में बड़ी भूमिका निभाई । यदि वे चंडीगढ़ बैठे ऑनलाइन इसका उद्घाटन कर देते तो यह नौबत न आती । पर वे दलबल सहित आए और उद्घाटन किया जिससे अस्पताल के रूप में संजीवनी मिली सो मिली किसान आंदोलन को भी संजीवनी दे गये । अब केस रद्द करवाने के लिए किसान नेता भी कल दलबल सहित हिसार पहुंचे और मटका चौक को किसान चौक में बदल दिया । राकेश टिकैत और गुरनाम सिंह चढूनी एकसाथ आए और एकजुटता का संदेश दिया। इस बार पुलिस बैकफुट पर रही और किसी किसान को नहीं रोका । हां , हार्ट अटेक से एक किसान की मौत हो गयी तो उसके एक परिवारजन को नौकरी देने का फैसला किया गया । इस तरह पुलिस ही नहीं प्रशासन भी काफी एहतियात से चल रहा था । आखिर दो घंटे लम्बी मैराथन बैठक के बाद प्रशासन और किसान नेताओं में सहमति बनी कि एक माह के बाद सारे केस खत्म कर दिये जायेंगे और तब किसानों ने धरना समाप्त करने का फैसला किया । इसके बावजूद राकेश टिकैत यह चेतावनी भी दे गये कि यदि प्रशासन इस फैसले से मुकरा तो एक माह।बाद फिर आंदोलन चलाया जायेगा ।
अब गेंद प्रशासन व सरकार के पाले में है कि एक माह बाद आंदोलन समाप्त करना है या हिसार को किसान आंदोलन का केंद्र बनने देना है ?
इधर ओलम्पिक विजेता सुशील कुमार ने अपनी पहली रात सींखचों के पीछे बड़ी बैचैनी से बिताई । रोना भी आया अपने अंजाम को सामने देखकर । कहां तो हीरो और कहां खलनायक । क्या से क्या हो गया ईर्ष्या में ? नौकरी , पद और शोहरत सब मिट्टी में मिला लिया अपने ही हाथों । किसी को कुछ करने की जरूरत ही नहीं पड़ी । रेलवे भी निलम्बित करने जा रही है । गैंगस्टरों से रिश्ते अलग खंगालने जाने वाले हैं और सागर धनखड़ के पिता अशोक को चिंता है कि कहीं सुशील अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर इस केस को हल्का न कर पाये । एक महिला खिलाडी की संलिप्तता भी सामने आ रही है । खिलाड़ी से गैंगस्टर तक रिश्तों की क्या जरूरत पड़ी?
पश्चिमी बंगाल के तृणमूल कांग्रेस के सांसद ने राज्यपाल के लिए कुछ अच्छा नहीं कहा । यह गलत है । महाभारत में भी सारी मर्यादाएं टूटती चली गयी थीं और पश्चिमी बंगाल की राजनीति में भी एक एक कर मर्यादाएं टूटती जा रही हैं । यह लोकतंत्र के लिए शुभ संकेत नहीं ।