राजनीतिक दल हिसाब किताब देंगे? 

राजनीतिक दल हिसाब किताब देंगे? 

-*कमलेश भारतीय
हरियाणा में विधानसभा चुनाव की तैयारी में हर राजनीतिक दल जुट गया है। बैठकें हो रही हैं, रणनीतियां बनाई जा रही हैं। अभियान चलाये जा रहे हैं और सबसे मज़ेदार यह कि पांच पांच नहीं दस दस साल के काम काज के हिसाब किताब मांगे जा रहे हैं । जनता के लिए यह बहुत खुशी की बात है क्योंकि जनता तो हिसाब किताब पूछ नहीं पाती न। कम से कम राजनीतिक दल ही हिसाब दे दें। 
पहले कांग्रेस ने 'हरियाणा मांगे हिसाब' किया, इसका हिसाब मांगना शुरू किया । बस, भाजपा की ओर से जवाब देने चाणक्य कहे जाने वाले केंद्रीय मंत्री अमित शाह महेंद्रगढ़-अम्बाला पहुंच गये और बड़े गर्ज कर बोले-हुड्डा साहब, आपने दस साल का हिसाब मांगा है। बनिये का बेटा हूँ, पाई-पाई का हिसाब दूंगा और आपमें हिम्मत है तो अपने दस साल के  शासनकाल का हिसाब दीजिये। लीजिए, हिसाब देने और लेने का राजनीतिक खेल शुरू हो गया हरियाणा में। कभी यहां महाभारत हुई थी और कभी यहां पानीपत की तीन तीन लड़ाइयां, जिन्हें याद करके ही हम अपनी शिक्षा पूरी करते आये हैं। अब यहां एक नयी 'हिसाब-किताब की लड़ाई' शुरू हुई है और जनता कह रही है -अब आयेगा मज़ा, जब हिसाब मांगते जनसभाओं में गरजेंगे दोनों दलों के नेता। 
वैसे ताज़ा ताजा हिसाब तो याद रहता है, दस-दस साल के हिसाब के बही खाते देखने पड़ेंगे। कांग्रेस शासित भूपेंद्र सिंह हुड्डा के शासनकाल को सोनिया गांधी के दामाद राबर्ट बाड्रा को फायदा पहुंचाने के लिए ज्यादा आलोचना के केंद्र में रखा गया और खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी कहते रहे -टू जी, थ्री जी और जीजा  जी। मानेसर और पंचकूला के मामले आज भी कोर्ट में चल रहे हैं । किसानों की ज़मीन औने पौने दामों में खरीदकर  बड़े लोगों/कम्पनियों के नाम करने के इल्ज़ाम रहे और भुनाये गये चुनावों में। यही नहीं किसानों को फसल के मुआवजे के रूप में मात्र कुछ रुपयों के चैक दिये जाने के किस्से भी चटखारे लेकर सुनाये जाते हैं। 
अब अगले दस सालों पर आइये । एक खेलमंत्री किसी महिला कोच के साथ अभद्र व्यवहार करता है और सरकारी कोठी पर बुला कर खुला ऑफर देता है और कार्यवाही कोई नहीं  होती। एक प्रदेशाध्यक्ष का बेटा आधी रात पंचकूला की सड़कों पर एक आईएएस की बेटी का पीछा करता है, कार्यवाही कोई नहीं। हरियाणा की ओलम्पिक पदक विजेता छोरियां एसोसिएशन के अध्यक्ष के यौन शोषण के खिलाफ जंतर मंतर पर धरना प्रदर्शन करती हैं और पुलिस उन्हें तिरंगा हाथ में होने के बावजूद सड़क पर गिराकर मारती है। किसान आंदोलन को रोकने के लिए सड़क के बीचोंबीच कीलें गाड़कर रास्ता रोका जाता है और उन्हें कोई 'बीमारी' कहता है तो कोई 'आतंकवादी'। अग्निवीर योजना से दक्षिण हरियाणा के युवा निराश हैं और वहीं हिसाब मांगा जा रहा है। हिसार दूरदर्शन केंद्र बंद क्यों कर दिया कोई इसका जवाब नहीं दे रहा। जब पूर्व केंद्रीय सूचना व प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर हिसार आये और दूरदर्शन केंद्र का दौरा किया, उसके दस दिन बाद ही इस केंद्र को बंद करने के आदेश भेज दिये। कोई जवाब देगा कि हरियाणा से एकमात्र दूरदर्शन केंद्र क्यों छीन लिया गया? युवाओं के सेना में भर्ती होकर देशसेवा का सपना क्यों छीन लिया गया? अच्छे दिन कब आयेंगे और पंद्रह पंद्रह लाख रुपये खाते में अब एक राजनीतिक जुमला बन कर क्यों रह गये? हरियाणा में कितने पेपर लीक हुए और सूटकेस बरामद हुए और युवा रोजगार की राह देखते रह गये। सच में, बड़ा मज़ा आयेगा जब बीच जनसभाओं में पाई पाई का हिसाब होगा। लोग इतना ही कह रहे हैं :
अब क्या ये हिसाब किताब रक्खें, किस किसने हमे बर्बाद किया 
किस किसने खुशियां दीं हमको और किस किसने हमें नाशाद किया! 
-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी।