समाचार विश्लेषण/विपक्ष की एकजुटता कोई रंग दिखायेगी?
-*कमलेश भारतीय
आखिर विपक्ष ने भाजपा शासित केंद्र सरकार के खिलाफ एकजुट होना शुरू कर दिया । पहले संसद के मानसून सत्र के दौरान एकजुटता दिखाई और जनता से जुड़े मुद्दे उठाने की संयुक्त रूप से कोशिश की । जहां तक कि सत्र के दौरान ट्रैक्टर यात्रा राहुल ने निकाली और बाद में विपक्ष ने साइकिल यात्रा भी निकाली पर केंद्र सरकार टस से मस नहीं हुई । किसानों के बीच भी गये । इतने पर भी केंद्र सरकार ने न किसान आंदोलन और न ही कृषि कानूनों पर कोई बात होने नहीं दी । इसी प्रकार पेगासस का मुद्दा भी उठने नहीं दिया और महंगाई की बात नहीं होने दी । इस तरह यह मानसून सत्र बिना किसी उपलब्धि के बीत गया । दूसरी ओर हमारे प्रधानमंत्री इस बात पर अफसोस जताते रहे कि विपक्ष ने संसद चलने नहीं दी और करोड़ों रुपये बर्बाद हो गये । जब देश की सर्वोच्च पंचायत ही इस तरह ठप्प होकर रह जाये तो फिर कहां उठाये जायेंगे जनता के मुद्दे? जनता की तकलीफ कहां बयान की जायेगी ? कहां सुनाया जायेगा इसका दुख दर्द?
आखिर इसका यही एक उपाय है कि कम से कम विपक्ष एकजुट होकर सरकार को टक्कर दे हर मोर्चे पर । यही आह्वान किया है कांग्रेस हाईकमान सोनिया गांधी ने ऑनलाइन बैठक करके विपक्षी नेताओं के साथ । शुरूआत अच्छी है । हालांकि समाजवादी पार्टी के जुड़ने की संभावना जताई जा रही थी लेकिन नहीं आई ऑनलाइन । विधानसभा चुनाव भी यूपी में आने वाले हैं । मायावती से किसी को कोई उम्मीद है भी नहीं । ममता बनर्जी और शरद पवार दो ऐसे नेता हैं जिन्होंने महाराष्ट्र व पश्चिमी बंगाल में भाजपा को विपक्ष की एक जुटता से पटकनी देने में सफलता प्राप्त की यानी भाजपा के लोट्स ऑपरेशन का मुंहतोड़ जवाब दिया । कहां आधी रात को राज्यपाल को जगा कर देवेंद्र फडणबीस को शपथ दिला दी थी और कहां दिन के उजाले में भागते हुए इस्तीफा देने जाना पड़ा । यह हुई न चाणक्य नीति । जब आधे प्रतिशत वोट से कांग्रेस के अहमद पटेल राज्यसभा चुनाव जीते थे तब कहां गयी थी चाणक्य नीति ? अरे यार चाणक्य को क्यों बदनाम करने में लगे हो ? देखो ओ दीवानो चाणक्य को बदनाम न करो ।
ममता बनर्जी ने पश्चिमी बंगाल में कितना संघर्ष किया अकेली अपने दम पर ? सारी केंद्रीय सरकार वहां डेरा लगाये बैठी रही और सारी एजेंसियां काम पर लगी रहीं लेकिन ममता बनर्जी जीत कर निकली ।
ऐसी एक जुटता की जरूरत महसूस हो रही है । सोनिया गांधी ने उम्मीद जताई है कि विपक्ष आगे भी एकजुट रहेगा और पेगासस , कृषि कानूनों और बढ़ती महंगाई पर सरकार को घेरेगा । इसके बावजूद सोनिया गांधी को कांग्रेस की एक जुटता पर भी ध्यान देना होगा यानी एक जुटता की शुरूआत घर से करनी होगी ।
-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।