क्या मुझसे दोस्ती करोगे?
-*कमलेश भारतीय
आज यही दिन है, यही पूछेंगे सब आज कि क्या मुझसे दोस्ती करोगे? यह भी खूब है न कि हमने अलग अलग दिन बना रखे हैं, दोस्ती, प्यार, मातृ पितृ दिवस, यहां तक कि वेलेंटाइन डे भी। यह हमारी संस्कृति तो नहीं, जिसमें से वेलेंटाइन या फ्रेंडशिप डे जैसे धांसू दिन मनाये जाते रहे हैं पर अब बाज़ारवाद ने इन दो दिनों को ऐसा बना दिया कि यदि न मनायें तो बहुत पिछड़े जमाने के लोग माने जायें। समाचारपत्र बता रहा है कि सोशल मीडिया की दोस्ती कैसे कैसे दिन दिखाती है। दूर क्यों जायें, अपने हिसार में देख लीजिए कि फेसबुक की दोस्ती में युवती लाखों रुपये गंवा बैठी और अब थाने कचहरी के चक्कर काटेगी और सबको कहेगी न-न, फेसबुक पर कोई दोस्ती न करना, वरना मेरी तरह ज़ाल में फंस जाओगी। लिव इन की दोस्तियों के हश्र भी समय समय पर अखबारों में आते रहते हैं कि कैसे लिव इन पार्टनर को काट-काट कर, टुकड़े -टुकड़े कर ब्रीफकेस में बंद कर फेंकते हैं या फ्रिज में रख देते हैं। तौबा ! तौबा ! इस दोस्ती से, इस लिव इन से! न बाबा न, हम दोस्ती नहीं करेंगे किसी से।
वैसे दोस्ती के उदाहरण रामचंद्र शुक्ल ने अपने लेख में दिये हैं, जैसे कृष्ण सुदामा की दोस्ती का उदाहरण हर कोई देता है तो महिला पुरुष की दोस्ती के उदाहरण के रूप में कृष्ण राधा का उदाहरण सब देते हैं, मानते हैं। इसी प्रकार दो विपरीत स्वभाव के लोग भी मित्र हो सकते हैं, जैसे कर्ण और दुर्योधन। कर्ण जैसे दानी और दुर्योधन जैसे ईर्ष्यालु व्यक्तियों में कैसी दोस्ती? दुर्योधन ने कर्ण को सम्मान दिया और कर्ण ने अपना सब कुछ उस पर लुटा दिया। सारा विवेक होते हुए भी अधर्म की तरफ खड़ा हो गया। यह दोस्ती का दुखांत भी कहा जा सकता है।
दोस्ती को लेकर अनेक फिल्में बनी हैं, जिनमें दोस्ती और संगम आज तक याद हैं। संगम में दो दोस्त एक ही राधा से प्यार करते हैं और आखिर एक अपनी जान कुर्बान कर देता है। इसी प्रकार 'उसने कहा था' में भी बचपन के प्यार और दोस्ती पर एक फौजी अपनी जान कुर्बान कर देता है। शोले फिल्म के गाने को आज तक नहीं भूले :
यह दोस्ती हम नहीं छोड़ेंगे
छोड़ेंगे दम मगर, तेरा साथ न छोड़ेंगे!!
-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी।