नारी तुम केवल श्रद्धा नहीं हो
कमलेश भारतीय की कलम से
नारी एक अबूझ पहेली । नारी जितनी सरल और उतनी ही जटिल । नारी उर्वशी भी तो दुर्गा भी । नारी तेरे रूप अनेक । आज सानिया मिर्ज़ा ने कहा कि महिला खिलाड़ियों की राह लम्बी । वैसे तो किसी गीत में कहा गया है :
जीवन से लम्बे हैं बंधु
ये जीवन के रस्ते,,,
पर नारी के रास्ते इतने लम्बे हैं कि इनका कोई ओर छोर ही नहीं । कहीं कोई अंत ही नहीं । सानिया मिर्ज़ा ने तो खेलों में महिलाओं की स्थिति को लेकर कहा है कि हर मां बाप अपनी बेटी को डाॅक्टर , वकील या शिक्षिका तो बनाना चाहते हैं लेकिन खिलाड़ी नहीं । यह करियर नहीं माना जाता । वैसे एक्टिंग और थियेटर को भी करियर नहीं माना जाता । वे यह भी मानती हैं कि क्रिकेट से हटकर ग्लैमर नारी में ही है । फिर चाहे वह कोई भी या किसी भी क्षेत्र में क्यों न हो । पत्रिकाएं हों या कोई अन्य प्रकाशित सामग्री नारी या महिला खिलाड़ियों के चेहरे दिखेंगे । इसके बावजूद लड़की मुक्केबाज़ी के गल्ब्ज पहन कर यह नहीं कह सकती कि मैं यही बनना चाहती हूं । सानिया मिर्जा के अनुसार चीजें या स्थितियां बदली हैं लेकिन अभी और बदलाव की जरूरत है । अभी लम्बी राह देखनी होगी । सानिया मिर्ज़ा से यह भी पूछा गया कि पंद्रह सोलह साल बाद लड़कियां टेनिस क्यों छोड़ देती हैं तो उसका जवाब कि यह भारतीय संस्कृति से जुड़ा गंभीर मसला है । दुनिया के किसी हिस्से में मां बाप नहीं चाहते कि खेल के मैदान में लड़की जाए । वे चाहते हैं कि उनकी लड़की डाक्टर या शिक्षिका ही बने । यानी सबसे सेफ फील्ड में रहे या करियर बनाए । जिस संस्कृति की बात की है उसमें सानिया मिर्ज़ा को भी जीना और खेलना पड़ा । जब टेनिस की शाॅर्ट ड्रेस को लेकर उस पर आपत्ति की गयी । सानिया मिर्ज़ा ने बड़े साहस से इस आपत्ति का सामना किया । उसने दो टूक कह दिया कि बुर्का पहन कर टेनिस नहीं खेल सकती । हरियाणा की दंगल गर्ल्ज ने भी पहलवानी में आकर नयी राह दिखाई । इस राह पर अनेक लड़कियां चल रही हैं । शाहाबाद मारकंडा की हाॅकी की रानी रामपाल को कैसे भूल सकते हैं ? एक्टिंग में ऊषा शर्मा से लेकर मेघना मलिक ने हरियाणा का गौरव बढ़ाया । कल्पना चावला ने स्पेस में तो अनिता कुंडू , संतोष यादव , कविता , मनीषा पायल , शिवानी पाठक न जाने कितनी लड़कियों ने एवरेस्ट विजय,कर तिरंगा फहराया । कौन सा क्षेत्र है जिसमें नारी ने परचम न लहराया हो ? पैरा गेम्स में दीपा मलिक और एकता भ्याण नाम चमका रही हैं । लेखन में अनेक नाम लिए जा सकते हैं । नारी की आवाज़ बुलंद करने में भिवानी की डाॅ रश्मि बजाज पीछे नहीं । निर्भया हो जाओ द्रोपदी जैसा काव्य । विदेश में बैठी अनुराधा बेनिवाल भी अपने मुक्त विचारों के लिए चर्चित हैं । कहां तक जिक्र करूं ? फिर भी उंगलियों पर हैं ऐसे उदाहरण । एक थी शमीम भी है । पर कोई अभिभावक सेफ जोन से बाहर नहीं जाने देना चाहता अपनी बेटी को ।
जीवन से लम्बे हैं बेटी
यह जीवन के रस्ते ,,,
बस एक बार उडारी भर और पिंजरे तोड़ कर अपने मन से उड़ा दे अपने को...