देश व समाज के उत्थान में महिलाओं का अभूतपूर्व योगदान हैः कुलपति प्रो सुदेश
बीपीएसएमवी में महिला सशक्तिकरण पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन प्रारंभ।
खानपुर कलां, गिरीश सैनी। महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में तकनीक का समुचित उपयोग किए जाने की जरूरत है। साथ ही, गंभीरता से महिला मुद्दों पर चर्चा करते हुए वास्तविक समस्याओं एवं उनके समाधान पर शोध किया जाना चाहिए। सामाजिक ढांचे में महिलाओं को नेतृत्व दिया जाना चाहिए। यह बात भगत फूल सिंह महिला विश्वविद्यालय, खानपुर कलां की कुलपति प्रो सुदेश ने शुक्रवार को इतिहास एवं पुरातत्व विभाग द्वारा महिला सशक्तिकरण पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारंभ करते हुए कही।
कुलपति प्रो. सुदेश ने सम्मेलन के विषय को महत्वपूर्ण बताते हुए आयोजक टीम को शुभकामनाएं दी और कहा कि देश व समाज के उत्थान में महिलाओं का अभूतपूर्व योगदान है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के आयोजन नए विचारों को साझा करने का अच्छा मंच हैं। पावर एंपावरस का मंत्र देते हुए कुलपति प्रो. सुदेश ने महिलाओं को नेतृत्व की भूमिका में आगे लाने की वकालत की। उन्होंने आयोजक टीम का आह्वान किया कि सम्मेलन में सभी के सम्मिलित प्रयासों से दुनिया को बेहतर बनाए जाने पर भी विचार मंथन किया जाए।
कुलपति प्रो. सुदेश ने अन्य अतिथियों के साथ दीप प्रज्वलित कर इस अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन किया। 'रेनेसांस ऑफ रेसिलिएंसः वीमेन एम्पॉवरिंग दी वर्ल्ड थ्रू एजेस' विषयक इस तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन एशियाटिक सोसाइटी फॉर सोशल साइंस रिसर्च (एएसएसएसआर) के सहयोग से किया जा रहा है। डीन, फैकल्टी आफ सोशल साइंस प्रो रवि भूषण ने स्वागत संबोधन किया। इस अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन की कन्वीनर तथा इतिहास एवं पुरातत्व विभाग की अध्यक्षा डॉ अर्चना मलिक ने सम्मेलन की विषय वस्तु साझा की। एएसएसएसआर की हेड (आर एंड डी) सुरभि गांगुली ने सोसायटी की पृष्ठभूमि की जानकारी दी और इस सम्मेलन की रूपरेखा पर प्रकाश डाला। उद्घाटन सत्र का संचालन विधि विभाग की अध्यक्षा डॉ सीमा दहिया ने किया।
उद्घाटन सत्र में बतौर विशिष्ट वक्ता दिल्ली विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग के प्रो राधा त्रिपाठी तथा प्रो रेखा सक्सेना ने ऑनलाइन माध्यम से शिरकत की। उन्होंने महिलाओं के लिए रोजगार अवसर सृजित करने, महिलाओं को आर्थिक स्वतंत्रता देने के अलावा महिलाओं को घरेलू एवं कार्यस्थल सहित अन्य प्रकार की हिंसा से बचाने के लिए मौजूद कानूनों पर जानकारी साझा की। प्रो रेखा सक्सेना ने चिपको आंदोलन सहित अन्य सामाजिक सुधारों में महिला योगदान पर भी बात रखी।
एएसएसएसआर के अध्यक्ष आशु जे. ने अपने संबोधन में देश में महिलाओं के सामाजिक व सांस्कृतिक बंधनों का जिक्र करते हुए कहा कि महिलाओं को और अधिक मौके व आजादी दिए जाने की जरूरत है। आभार प्रदर्शन एएसएसएसआर की हेड (आर एंड डी) सुरभि गांगुली ने किया।
इस अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के दोपहर कालीन सत्र में वक्ता के रूप में नेपाल से डॉ नम्रता पांडे तथा दिल्ली विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग की प्रो सीमा बावा ने ऑनलाइन माध्यम से भाग लिया और अपने विचार प्रस्तुत किए। इसी सत्र में सेक्शनल प्रेसिडेंट के रूप में जामिया मिलिया इस्लामिया से डॉ फिरदौस अजमत सिद्दीकी, जे.एन.यू, दिल्ली से डॉ एस. जीवानंदम तथा जानकी देवी मेमोरियल कॉलेज, दिल्ली से डॉ खुर्शीद आलम उपस्थित रहे। इस अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में नेपाल, ईरान के अलावा गोवा, केरल, हरियाणा, आसाम सहित पूरे भारत से प्रतिभागी हिस्सा ले रहे हैं। इस अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में कुल 12 तकनीकी सत्र आयोजित किए जाएंगे। उद्घाटन सत्र में विभिन्न शैक्षणिक विभागों के अध्यक्ष, प्राध्यापक, प्रतिभागी, विभाग के शोधार्थी एवं विद्यार्थी मौजूद रहे।