महिला सुरक्षाकर्मियों तथा सफाई कर्मचारियों के लिए गुजवि में कार्यशाला आयोजित

महिला सुरक्षाकर्मियों तथा सफाई कर्मचारियों के लिए गुजवि में कार्यशाला आयोजित

रोहतक, गिरीश सैनी। गुरु जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के महिला सेल के सौजन्य से महिला सुरक्षाकर्मियों तथा सफाई कर्मचारियों के लिए कार्यस्थल पर उत्पीड़न रोकने तथा मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर रखने से संबंधित कार्यशाला का आयोजन किया गया।  विशिष्ट अतिथि के रूप में कुलसचिव प्रो. विनोद छोकर मौजूद रहे। परामर्श एवं कल्याण केन्द्र के निदेशक प्रो. संदीप राणा तथा वरिष्ठ अधिवक्ता सुनीता श्योकंद विशेषज्ञ वक्ता के रूप में मौजूद रहे। अध्यक्षता महिला सैल की अध्यक्षा प्रो. सविता उबा ने की।

कुलसचिव प्रो. विनोद छोकर ने कहा कि किसी भी संस्थान की बेहतरी में संस्थान से संबंधित हर पक्ष का योगदान महत्वपूर्ण होता है। विशेषकर सफाई कर्मी एवं सुरक्षाकर्मी किसी भी संस्थान के अनकहे नायक होते हैं। कार्यस्थल पर इनको उपयुक्त वातावरण देना विश्वविद्यालय की प्राथमिकता है। महिला सुरक्षाकर्मी भी चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में अपने कर्तव्य को अंजाम देती हैं। उन्होंने महिलाओं से भी कहा कि वे निडर होकर अपने प्रति होने वाले किसी भी उत्पीड़न की शिकायत करें। विश्वविद्यालय का भीतरी वातावरण शांत व सौहार्दपूर्ण है। उन्होंने महिला सफाई कर्मियों व सुरक्षाकर्मियों से कहा कि वे अपने बच्चों को अवश्य पढ़ाएं। उनके बच्चों की पढ़ाई में विश्वविद्यालय प्रशासन हर संभव योगदान देगा।

विशेषज्ञ वक्ता प्रो. संदीप राणा ने कहा कि महिलाएं खुद को कम ना आंके। अधिवक्ता सुनीता श्योकंद ने महिलाओं को उत्पीड़न से संबंधित कानूनी पहलुओं की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने समझाया कि किस प्रकार महिलाओं के साथ उनके कार्यस्थल पर जाने-अनजाने में उत्पीड़न होता है। उन्होंने महिलाओं से कहा कि वे डरें नहीं, आवाज उठाएं, लेकिन साथ ही ध्यान रखें कि उनके द्वारा दी जाने वाली शिकायत झूठी न हो, अन्यथा भविष्य में उनका पक्ष कमजोर होगा। उन्होंने महिलाओं को बताया कि वे अपने साथ होने वाले उत्पीड़न की शिकायत कहां, कब और कैसे कर सकती हैं। उन्होंने यह भी समझाया कि कौन-कौन सी हरकतें महिला उत्पीड़न के दायरे में आती हैं। 

प्रो. सविता उबा ने अपने स्वागत सम्बोधन में कहा कि इस कार्यशाला का उद्देश्य विश्वविद्यालय में सुरक्षा, सम्मान व समानता का माहौल निर्मित करना है। धन्यवाद प्रस्ताव डॉ. तरूणा गेरा ने किया। कार्यशाला का संचालन अंजलि ने किया।