समाचार विश्लेषण/यारो, अब पटियाला जेल में जमेगी महफिल
-*कमलेश भारतीय
कभी किरण बेदी ने तिहाड़ जेल को सुधारने के लिये अभियान चलाया था । उसकी आवाज पर युवा लेखिका वर्तिका नंदा ने भी संस्था बनाई -तिनका तिनका डासना और इसी जेल के कैदियों के मानसिक स्वास्थ्य को सुधारने का काम आज तक जारी रखा है । इसी आवाज पर हिमाचल की प्रसिद्ध रंगकर्मी अमला राय ने भी शिमला की कैत्थू जेल में बंदी कैदियों के लिए अनेक कार्यक्रम किये ।
अब लगता है कि कलाकारों की महफिल पटियाला जेल में जमेगी । वहां पहले से ही अपने क्रिकेटर , काॅमेडियन, राजनीतिज्ञ , पूर्व मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू सजा काट रहे हैं पुराने केस में जो कभी तीन दशक पहले किया था । वे तो भूल भाल गये थे लेकिन यह कोर्ट है न यह सब कुछ देखती रहती है और सब कुछ जानती है और देर सबेर इंसाफ कर देती है । आजकल सिद्धू पटियाला जेल में हैं ,उसी पटियाला में जहां वे कभी हीरो हुआ करते थे । उनके अकाउंट से दूसरे बंदियों ने पैसे उड़ा लिये और करोड़ों रुपये के मालिक सिद्धू बेचैन हो गये । जेल की छोटी सी कोठरी में उनकी सारी उपलब्धियां कैद ही नहीं हुईं बल्कि सीमित भी हो गयीं । उन्हें क्लर्की का काम दिया गया है । जो कभी बड़ी महत्त्वपूर्ण फाइलों पर अपने हस्ताक्षरों की चिड़िया बनाया करते थे , वे अब फाइलों पर नोटिंग लिखा करेंगे ।
अभी पटियाला जेल में एक और आकर्षण बढ़ा है । वो है अपना कलाकार दिलेर मेहंदी । जिसे दो साल की सजा हुई है कबूतरबाजी के कारण । कबूतरबाजी का पंजाब में मतलब है कि वे लोग जिन्हें पंजाब से उड़ाकर विदेशों में बसाना या पहुंचाना । दिलेर मेहंदी पर आरोप है कि वे अपने विदेशी टूरों में ऐसे लोग को पैसे लेकर साथ ले जाते थे । इसे मानव तस्करी भी कहा गया और इन लोगों को विदेश में छोड़कर आ जाते थे । इसकी सजा मिली है । जब पहली पहली बार पटियाला के पुलिस स्टेशन और बाद में जेल में रखे गये थे तब पुलिस वालों ने पूछताछ के नाम पर मुफ्त दिलेर मेहंदी के गानों का लुत्फ उठाया था । अब फिर से वे पटियाला जेल भेज दिये गये हैं , देखिये कितनी रौनकें लगती हैं । वैसे दिलेर मेहंदी का तो दिल रोता होगा लेकिन पुलिस वाले खुश होते होंगे कि मुफ्त का कलाकार आ गया दिल लगाने वरना जेल में बैठे बोर हो रहे थे ।
इसी प्रकार सुनारिया जेल में राम रहीम के सजा काटने से काफी रौनक आ गयी है । वे वहां माली का काम कर रहे हैं , ऐसा बताया जा रहा है । यही उनका मनपसंद काम है और वे डेरे में भी एक एक हजार रुपये की लौकी बेच देते थे । अब सुनारिया जेल की लौकी का क्या मोल हो गया होगा ? यह पता करना पड़ेगा। वैसे तो यह भी याचिका दायर हुई थी कि यह जो बागपत के आश्रम में राम रहीम नजर आ रहे हैं , ये असली नहीं हैं । लेकिन पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता को फटकार लगाते कहा कि कौन सी फिल्मी कहानी देख ली जो ऐसी बात कर रहे हो ? इस तरह याचिका खारिज हो गयी । कोई डबल रोल नहीं है यह ।
इस तरह जैसे घूरे के दिन बदलते रहते हैं , ऐसे ही जेलों के दिन भी बदलते रहते हैं । कभी नैनी जेल में देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु बंदी रहे थे । अभी इसी वर्ष मई माह में अल्मोड़ा जाना हुआ डाॅ दीपा गुप्ता के घर । उनका घर इसी नैनी जेल के पास था , तब उन्होंने ही यह बात बताई और यह भी बताया कि बाकायदा उस कोठरी के आगे लिखा हुआ है कि यहां जवाहर लाल नेहरु बंदी के रूप में रहे थे और सब जानते हैं कि अपनी बेटी इंदिरा प्रियदर्शिनी की इसी जेल से लिखे पत्रों से भारतीय इतिहास और संस्कृति का परिचय करवा दिया था , जिसे भारत की खोज धारावाहिक के रूप में भी देखा गया । हमारे लाल कृष्ण आडवाणी भी आपातकाल में रोहतक जेल में रहे और आपातकाल को याद करने रोहतक जेल आए भी थे । नेता जब जेल काटते हैं तो लेखक बन जाते हैं । इस तरह जेल भी आजकल आकर्षक लोगों के आने से बहुत प्यारी होने लगी हैं । क्या कहने ...सुभान अल्लाह ...हाय ..
-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।