यह क्या है?

यह क्या है?
कमलेश भारतीय।

सारे घर में फैला रखी हैं 
किताबें 
न ड्राइंग रूम , न बैडरूम 
अब क्या कहूं 
कहां तक रख छोडी हैं किताबें ....
पत्नी रोज सुबह 
मुझ पर होती है गुस्सा ।
मैं रोज दीन हीन बन कहता हूं 
कुछ न कुछ करूंगा 
पर जब नजर दौडाता हूं 
तब इन किताबों में मुझे 
दिखते हैं भेजने वाले दोस्त 
लगता है जैसे ये मेरे मेहमान हैं 
इन्हें मेरे घर में 
कहीं भी बैठने का हक है ।
इनमें से कोई मेरे ड्राइंगरूम में 
तो कोई बैडरूम 
तो कोई लाॅन में मुझसे बतियाता है 
जब मैं उसकी पुस्तक पढता हूं । 
क्या कहूं पत्नी को 
घर आए मेहमानों को क्या किसी स्टोर में 
या एकांत में बिठाया जाता है ? 
स्वागत् है मित्रो 
जहां आपका दिल कहे 
वहीं विराजिए
-कमलेश भारतीय