समाचार विश्लेषण/योगेंद्र यादव, किसान मोर्चा और भाई कन्हैया
-*कमलेश भारतीय
संयुक्त किसान मोर्चा ने वरिष्ठ सदस्य योगेंद्र यादव को एक माह के लिए मोर्चे से निलम्बित कर दिया है । उनका कसूर यह है कि वे लखीमपुर खीरी में जहां पीडित किसानों के घर शोक व्यक्त करने गये, वहीं एक भाजपा कार्यकर्त्ता के घर भी शोक व्यक्त करने चले गये जो किसानों के जबरदस्त रोष में अपनी जान गंवा बैठा था । यह बात संयुक्त किसान मोर्चे को नागवार गुजरी और इसके चलते निलम्बित करने का फरमान सुना दिया ।
क्या पीड़ित भाजपा कार्यकर्त्ता के घर जाकर शोक व्यक्त करना अपराध था या है ? क्या भाजपा कार्यकर्त्ता के प्राण नहीं गये ? क्या वह इंसान नहीं था ? क्या उसी ने किसानों पर गाड़ी चढ़ाई थी ? नहीं । वह भी उन मासूम किसानों की तरह ही था जिसे अचानक उग्र भीड़ ने अपना शिकार बना लिया था देखते देखते । क्या उसके प्रति या उसके परिवार को सान्त्वना के दो शब्द बोलना अपराध हो गया ? ऊपर से गुरनाम सिंह चढूनी यह कह रहे हैं कि यदि योगेंद्र यादव अपने इस कृत्य के लिए माफ़ी नहीं मांगते तो उन्हें संयुक्त किसान मोर्चा से हमेशा के लिए बर्खास्त किया जाये । वाह । चढूनी जी । आपको भी तो निलम्बित किया गया था तो क्या आपको सदा के लिए बर्खास्त कर दिया जाना चाहिए था ? आप पर कोई कम आरोप तो नहीं लगे ? कभी कांग्रेस के एजेंट माने गये थे आप । दूसरी ओर योगेंद्र यादव कह रहे हैं कि मैं अपने धर्म और संस्कार पर टिका रहूंगा । यानी माफी किस बात की ?
मुझे इस सारे प्रकरण में गुरु गोबिंद सिंह के परम शिष्य भाई कन्हैया की याद आ रही है जिनकी शिकायत ऐसे ही गुरु जी तक पहुंची थी कि कन्हैया तो घायल दुश्मनों को भी पानी पिलाता है । उसे घायलों को रणभूमि में पानी पिलाने की जिम्मेदारी दी गयी थी । इस पर गुरु जी ने कन्हैया को सबके सामने बुला कर पूछा तो उन्होंने जवाब दिया -गुरु जी । मुझे सारे घायल इंसान नज़र आते हैं । कोई घायल दुश्मन नज़र नहीं आता और गुरु जी इस जवाब से पूरी तरह संतुष्ट हो गये ।
अब योगेंद्र यादव पहले आप में अपना सहयोग दे चुके, वहां भी बात और दाल न गली तो स्वराज इंडिया बना ली । वे हरियाणा के मूल निवासी हैं और चढूनी भी इसी राज्य के हैं । कहीं ऐसा तो नहीं कि एक ही राज्य का होना ईर्ष्या का आधार हो ? जो भी हो , मैं योगेंद्र यादव के इस कृत्य से खुश हूं । भाजपा कार्यकर्त्ता इसी लखीमपुर खीरी का निवासी था , कोई विदेशी या रोहिंग्या नहीं था कि जिसके घर जाकर शोक व्यक्त करना गुनाह हो गया ,,,,लगे रहो योगेंद्र भाई ...
-*पूर्व उपाध्यक्ष हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।