समाचार विश्लेषण/युवा नेताओं का कांग्रेस से मोहभंग?

क्या युवा नेताओं का सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस से मोहभंग होता जा रहा है ? यह सवाल इसलिए उठा कि गुजरात में एक समय सबसे ज्यादा लोकप्रिय हार्दिक पटेल को कांग्रेस लपक कर लाई थी लेकिन अब जबकि गुजरात के विधानसभा चुनाव आने वाले हैं , हार्दिक पटेल ऐसे संकेत दे रहे हैं जैसे वे भाजपा में शामिल हो जायेंगे ।

समाचार विश्लेषण/युवा नेताओं का कांग्रेस से मोहभंग?
कमलेश भारतीय।

-*कमलेश भारतीय 
क्या युवा नेताओं का सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस से मोहभंग होता जा रहा है ? यह सवाल इसलिए उठा कि गुजरात में एक समय सबसे ज्यादा लोकप्रिय हार्दिक पटेल को कांग्रेस लपक कर लाई थी लेकिन अब जबकि गुजरात के विधानसभा चुनाव आने वाले हैं , हार्दिक पटेल ऐसे संकेत दे रहे हैं जैसे वे भाजपा में शामिल हो जायेंगे । हालांकि वे कल दिल्ली में पार्टी हाईकमान से मिले थे लेकिन लगता है कि उन्हें निराशा ही हाथ लगी और उन्होंने भाजपा की प्रशंसा करनी शुरू कर दी यह कहते हुए कि भाजपा में निर्णय शक्ति है जोकि कांग्रेस में नहीं है । सवाल पूछे जाने पर कि क्या भाजपा में जाओगे तो वही जवाब कि सारे विकल्प खुले हैं यानी जा भी सकते हैं । हार्दिक का कहना है कि तीस साल से कांग्रेस गुजरात में सत्ता से बाहर है और कहीं हार्दिक के मन में यह शंका भी है कि इस बार भी कांग्रेस को जीत हाथ नहीं लगने वाली और वे कहते हैं कि मैं युवा हूं और मुझे अपने भविष्य के बारे में सोचना है । यह सोच ही उन्हें कांग्रेस से दूर लिये जा रही है । 

पहले उत्तर प्रदेश में यही हुआ । जितिन प्रसाद ने कांग्रेस छोड़ी जोकि राहुल गांधी की ड्रीम टीम के सदस्य थे   इसी प्रकार मध्य प्रदेश में राहुल की ड्रीम टीम के प्रमुख सदस्य ज्योतिरादित्य सिंधिया भी गये । दोनों मंत्री पद पा गये । अभी फिर से राजस्थान में सचिन पायलट सक्रिय हो गये हैं । कांग्रेस ने उन्हें मना लिया था लेकिन उनका मान सम्मान तो नहीं किया । ऐसे चुपचाप बैठकर कब तक कोई युवा तमाशा देख सकता है ? बड़ी सीधी बात है कि युवा नेताओं का कांग्रेस से मोहभंग लगातार जारी है और कांग्रेस हाईकमान को इसकी कोई फिक्र नहीं है । एक तरफ जी 23 के रूप में वरिष्ठ कांग्रेसी भी अपनी अनदेखी का आरोप लगा रहे हैं तो दूसरी ओर युवा भी इससे भागते नजर आ रहे हैं । इस तरह क्या युवा तो क्या वरिष्ठ दोनों में मोहभंग की स्थिति बढ़ती जा रही है । शत्रुघ्न सिन्हा भी बड़ी आशा से कांग्रेस में आए थे लेकिन चुपचाप तृणमूल कांग्रेस में गये और सांसद भी बन गये । कांग्रेस उन्हें भी संभाल न पाई । ऐसे ही सुष्मिता देव तृणमूल कांग्रेस में गयीं और राज्यसभा में पहुंच गयीं । इन्होंने भी अपना भविष्य कांग्रेस में नहीं देखा । विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस को चिंतन मंचन करने की जरूरत है । नहीं तो यह रूत भी निकल जायेगी । 
-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।