समाचार विश्लेषण/उम्मीद, विश्वास और वैश्विक सद्भाव से हो गया टोक्यो में सायोनारा

hope faith and global harmony made sayonara in tokyo writes kamlesh bhartiya

समाचार विश्लेषण/उम्मीद, विश्वास और वैश्विक सद्भाव से हो गया टोक्यो में सायोनारा
कमलेश भारतीय।

-कमलेश भारतीय 
कभी जाॅय मुखर्जी ने फिल्म बनाई थी-लव इन टोक्यो । सच इस ओलम्पिक महाकुंभ के नतीजों से हमें भी कहना पड़ रहा है - लव यू टोक्यो । हमारा प्रदर्शन अब तक के ओलम्पिक्स में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है ।  इसके समापन पर उम्मीद, विश्वास और दृढ़ संकल्प का संदेश सारे विश्व को मिला । बेशक कोरोना के चलते ओलम्पिक देर से आयोजित किया जा सका लेकिन खिलाड़ियों ने उम्मीद नहीं खोई थी और जहां जहां , जैसे जैसे हो सका अपना अभ्यास जारी रखा -एक उम्मीद से कि ओलम्पिक खेल खेल होंगे और हुए । अब सब पेरिस में फिर मिलेंगे । 

खेल हमें आपसी सद्भाव, वसुधैव कुटुम्बकम् और प्रेम व शांति का संदेश देते हैं । खिलाड़ी भावना जीन के हर क्षेत्र में अपनाने का संदेश देते हैं । कोई गोरा नहीं, कोई काला नहीं । मानवता के पाठ का अहसास करवाते हैं । कोई छोटा नहीं , कोई बड़ा नहीं । एकलव्य की तरह बस समर्पण ही सबसे ज्यादा महत्त्वपूर्ण होता है -यह संदेश देते हैं । मेरीकाॅम और मीराबाई चानू कितने छोटे छोटे क्षेत्रों से आईं और सितारा बन गयीं । हाॅकी की खिलाड़ी कैस कैसे हालात से जूझती हुईं कितने आकाश छू गयीं ।ओलम्पिक ने हमें दिखाया ही नहीं सिखाया भी कि इरादे मजबूत होने चाहिएं फिर आपको लक्ष्य पाने से कोई रोक नहीं सकता । दुनिया की कोई ताकत आपके रास्ते में रूकावट नहीं बन सकती । कितने किस्से निकल कर सामने आ रहे हैं और किन हालातों में ये खिलाड़ी हमारी आंखों के तारे बन गये और बनते जायेंगे।  पहली बार हमने एथलेटिक्स में स्वर्ण पदक को चूमा -नीरज चोपड़ा के शानदार प्रदर्शन के चलते । कितने सालों बाद भारतीय हाॅकी की बात चली और मैदान में दूसरी टीमों को हमारी टीमों की धमक सुनाई दी । भारतीय हाॅकी टीम का स्वर्णिम युग लौट आया तो खिलाड़ियों के दम से । जो खाली हाथ लौटे हैं वे भी ओलम्पिक तक पहुंचे, यह क्या कम है ,,,अगली बार अपने अनुभव से बढ़िया प्रदर्शन कर देश का गौरव बढ़ायेंगे पर हमारी केंद्र सरकार को भी खेल बजट बढ़ाना चाहिए और खिलाड़ियों के लिए सुविधाएं भी । सिर्फ जीत का श्रेय लेने की होड़ काफी नहीं , आपने इनके लिए क्या किया यह भी बताइए न । 

एक बात थोड़ी अखरी कि हाॅकी खिलाड़ियों को अपने अपने राज्यों ने ही सम्मान राशि देने की घोषणा की ।  काश , हम सभी खिलाड़ियों को यानी पूरी टीम को सम्मान देने की घोषणा करते तो खिलाड़ी कितने खुश होते । हम सब भारतीय हैं , इसका अहसास करवाते । तिरंगा एक , जन गण मन एक फिर सम्मान में भेदभाव क्यों ? इसमें कैसी होड़ कि कौन एक करोड़ दे रहा है और कौन अढ़ाई करोड़ दे रहा है ...

खिलाड़ी भावना जितनी बढ़ायेंगे, हमारे युवा खेल स्टेडियम की ओर उतने ही कदम बढ़ायेंगे । खेल स्टेडियमों की देखरेख जरूरी है और फिर खिलाड़ियों का विश्वास जीतना । 

हमें पूरी उम्मीद है कि अगले ओलम्पिक में हम इस से बेहतर प्रदर्शन कर पायेंगे-मेक दी बेस्ट बैटर यानी इस प्रदर्शन को हम अगले प्रदर्शन से बैटर बना देंगे और नये कीर्तिमान बनायेंगे । इन खिलाड़ियों को स्वतंत्रता दिवस समारोह के अतिथि बनाने का फैसला स्वागत्  योग्य है ।